Stubble Buring: इस बार पराली के प्रदूषण से मिलेगी निजात, कृषि मंत्री ने बताया पूरा प्लान
Stubble Burning: बता दें कि धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को आग लगाने की प्रक्रिया को पराली जलाना कहा जाता है. यह अक्टूबर और नवंबर में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक आम बात है.
धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को आग लगाने की प्रक्रिया को पराली जलाना कहा जाता है. (Image- Freepik)
धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को आग लगाने की प्रक्रिया को पराली जलाना कहा जाता है. (Image- Freepik)
Stubble Burning: केंद्र ने चालू सत्र में धान की पराली जलाने (Stubble Burning) के मामलों को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में काम करने का लक्ष्य तय किया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात कही. इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की सरकारों ने एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में धान की पराली (Stubble) जलाने से रोकने के लिए अपनी कार्ययोजना और रणनीतियां प्रस्तुत कीं.
बता दें कि धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को आग लगाने की प्रक्रिया को पराली जलाना कहा जाता है. यह अक्टूबर और नवंबर में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक आम बात है.
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किसानों को समय पर मिलेगी मशीन
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तोमर ने कहा, मौजूदा सत्र में पराली जलाने को पूरी तरह बंद करने की दिशा में काम करने का लक्ष्य है. उन्होंने बयान में कहा कि केंद्र चार राज्यों को फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) योजना के तहत पर्याप्त धनराशि प्रदान कर रहा है. राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को समय पर मशीन मिल सके. उन्होंने कहा कि मशीनों के समुचित उपयोग और बायो-डीकंपोजर (Bio-Decomposer) के उपयोग को सुनिश्चित करने की जरूरत है.
पराली के व्यावसायिक उपयोग पर फोकस
तोमर ने आगे कहा कि धान की पराली के व्यावसायिक उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बारे में किसानों को जागरूक करने पर भी जोर दिया. उन्होंने बैठक में कहा कि धान की पराली जलाने की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है. पराली जलाने से सिर्फ वायु प्रदूषण ही नहीं फैसला है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है. पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि धान के भूसे के स्थानीय प्रबंधन को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, जिससे बिजली, जैव द्रव्यमान जैसे उद्योगों को कच्चा माल मिल सकता है.
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धान नहीं करने किसानों को मिलेंगे 7 हजार रुपये
बयान में कहा गया कि हरियाणा सरकार अधिक पानी की लागत वाली धान की खेती नहीं करने पर किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है.
11:41 AM IST